➤ सावन का चौथा और अंतिम सोमवार आज, भगवान शिव की आराधना का श्रेष्ठ दिन
➤ सर्वार्थ सिद्धि, गजकेसरी और रवि योग जैसे कई शुभ संयोगों में हो रही शिव पूजा
➤ रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव आरती से मिलती हैं मनोकामनाओं की पूर्ति
सावन मास का आज चौथा और अंतिम सोमवार है, जो भगवान शिव की उपासना का सबसे शक्तिशाली और फलदायक दिन माना गया है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है और यह दिन व्रत और आराधना के माध्यम से मनोकामनाओं की पूर्ति का अंतिम अवसर माना गया है। श्रद्धालु आज रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, शिव चालीसा और आरती से भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं।
आज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, रवि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे यह सोमवार अत्यंत प्रभावकारी बन गया है। यह दिन चंद्रमा के वृश्चिक राशि में गोचर और अनुराधा नक्षत्र के कारण भी विशेष महत्व रखता है।
पूजन विधि के अनुसार, भक्त आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें। शिवालय जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, काले तिल, चंदन, भस्म, कपूर, दीपक और मिठाई अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से 108 बार महामृत्युंजय मंत्र या पंचाक्षर मंत्र का जाप करें। इसके बाद आरती और नैवेद्य अर्पित करें।
आज शिव वास ‘सभा में’ प्रातः 11:41 बजे तक, तत्पश्चात ‘क्रीड़ा में’ रहेगा। इससे पूजा और अधिक प्रभावकारी मानी गई है।
पूजा के प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:20 से 5:02
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 2:42 से 3:36
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अमृत काल: शाम 5:47 से 7:34
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सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:44 से रात 9:12 तक
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इंद्र योग: सुबह 7:06 से 7:25 तक
महामंत्र:
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पंचाक्षर मंत्र: ॐ नमः शिवाय
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महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यंबकं यजामहे…
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रुद्र गायत्री: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे…
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ध्यान मंत्र: ॐ शंकराय महादेवाय…
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बीज मंत्र: ॐ ह्रीं नमः शिवाय
आरती:
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ॐ जय शिव ओंकारा से प्रारंभ होने वाली संपूर्ण शिव आरती आज विशेष फलदायक मानी गई है, जिसमें शिव के विभिन्न रूपों, वेशभूषा और दिव्यता का वर्णन किया गया है। यह आरती शिवभक्तों के लिए पुण्य और मोक्ष का मार्ग खोलती है।



